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गौर प्रिय दास – भागवत प्रवक्ता, लेखक और भक्तिपथ के प्रेरक

गौर प्रिय दास | श्रीमद्भागवत कथा वक्ता | कृष्णकथा और चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाएं | Vrindavan Bhakti Speaker

गौर प्रिय दास के बारे में

गौर प्रिय दास एक आध्यात्मिक वक्ता, प्रेरक लेखक, और शुद्ध भक्ति मार्ग के समर्पित सेवक हैं, जो वृंदावन धाम में निवास करते हैं। वे श्रीमद्भागवतम, कृष्णकथा, और श्री चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं पर आधारित प्रवचनों के माध्यम से अनगिनत लोगों को भक्ति की ओर प्रेरित कर रहे हैं।

गौर प्रिय दास जो श्रीधाम वृंदावन में अपने माता पिता जी संग अपनी धर्मपत्नी गौरांगी देवी जी और सुपुत्र गौरसुंदर के साथ श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

इनका उद्देश्य है — “हर हृदय में मंदिर बनाना।”

इनका परिवार भक्ति, सेवा और साधना के मार्ग पर अग्रसर है। वृंदावन की पावन भूमि में, इनके आश्रम “श्रीजी परमधाम” में निरंतर भागवत कथा, हरे कृष्ण महामंत्र कीर्तन, और साधु सेवा का आयोजन होता है।

उनका उद्देश्य है — “हर हृदय में मंदिर बनाना।”

वे अपनी वेबसाइट bhagwatam.com के माध्यम से नियमित रूप से भक्तिपूर्ण विचार, कथा, शास्त्रीय ज्ञान और आध्यात्मिक अभ्यास साझा करते हैं, जिससे लोगों को अपने अंतर्मन में भगवान श्रीकृष्ण का निवास स्थापित करने में मदद मिलती है।


आध्यात्मिक यात्रा और पूर्व जीवन

वैष्णव दीक्षा से पहले, वे अश्विन ठाकुर के नाम से प्रसिद्ध थे — एक सफल डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट और बिज़नेस ट्रेनर, जिन्होंने मुंबई में हजारों लोगों को डिजिटल क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उनका निवास मुंबई, वृंदावन, और उनके मूलगांव बठिया, दरभंगा (बिहार) में है।

परंतु सांसारिक सफलता से परे, उनका हृदय दिव्य प्रेम की खोज में था। जब उन्होंने गौड़ीय वैष्णव परंपरा को अपनाया, तो उन्होंने महाप्रभु के नियमों और षड्गोस्वामी की शिक्षाओं का पालन करते हुए अपने जीवन को श्री राधाकृष्ण सेवा में समर्पित कर दिया।

ASHWIN THAKUR MAITHILI BHAGWAT KATHA VRINDAVAN

श्रीजी परम धाम – वृंदावन में आध्यात्मिक केंद्र

वृंदावन में वे अपने आश्रम “श्रीजी परम धाम” में निवास करते हैं, जहाँ नियमित रूप से साधु सेवा, भागवत कथा, और हरे कृष्ण महामंत्र कीर्तन होता है। यह आश्रम उन साधकों और श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक आश्रय है जो भक्ति में आगे बढ़ना चाहते हैं।


दृष्टिकोण और संकल्प

गौर प्रिय दास जी का विश्वास है कि सच्चा मंदिर हृदय में होता है। उनके प्रवचन, लेखन और कीर्तन इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हैं — कि हर हृदय श्रीकृष्ण का धाम बन जाए। वे जीवन को भक्ति, सेवा और दिव्य प्रेम के रंगों से भरने के लिए समाज को जागृत कर रहे हैं।

हरे कृष्ण! राधे राधे 🙏🌹💐

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