जब जब अधर्म बढ़ता है, तब तब धर्म की पुनः स्थापना हेतु स्वयं प्रभु अवतरित होते हैं। रामनवमी, प्रभु श्रीराम के प्राकट्य का वह पावन दिवस है, जब धर्म, मर्यादा, और सेवा का साक्षात् स्वरूप इस पृथ्वी पर प्रकट हुआ। यह दिन केवल एक उत्सव नहीं, अपितु आत्मा की शुद्धि और परमार्थ की भावना को जागृत करने का पुनीत अवसर है।
श्रीजी परमधाम वृंदावन में इस पावन तिथि पर साधु, ब्राह्मण, एवं बटुक सेवा का विशेष आयोजन किया गया है। यह सेवा न केवल तात्त्विक रूप से पुण्यफलदायी है, बल्कि यह भक्त के हृदय में करुणा, दया और परस्पर प्रेम के बीज बोती है।
🌿 “सेवा से मिलता है प्रभु का सच्चा प्रेम,
जहाँ प्रेम है, वहाँ स्वयं श्रीराम हैं।”
साधु सेवा, ब्राह्मण भोजन, और विद्या को समर्पित बटुकों की सेवा—यह त्रिविध सेवा आत्मा को पावन कर देती है। जो प्रभु श्रीराम की कथा को श्रवण करता है, वह आत्मिक रूप से श्रीराममय हो जाता है; और जो श्रीराम के सेवकों की सेवा करता है, वह स्वयं प्रभु के चरणों में स्थान प्राप्त करता है।
आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें—
कि ऐसे पुण्य अवसरों पर तन, मन, और धन से सेवा में सहभागी बनें।
करुणा को विस्तार दें, प्रेम को बाँटें, और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करें।
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“जग में राम नाम की ज्योति जलाएं,
प्रभु की सेवा से जीवन को पावन बनाएं।”
अगले पुण्य अवसर पर आप सभी श्रद्धालु भक्तों से निवेदन है—
सेवा में सहभागी बनें, और अपने जीवन को प्रभु चरणों में समर्पित करें।
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