🌸 कामदा एकादशी व्रत कथा 🌸
(चैत्र शुक्लपक्ष की पुण्यमयी तिथि)
राजा युधिष्ठिर ने श्रीभगवान से पूछा:
“हे वासुदेव! आपको मेरा कोटिशः प्रणाम है। कृपया यह बताइए कि चैत्र शुक्लपक्ष में कौन-सी एकादशी होती है और उसका क्या माहात्म्य है?”
भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया:
“राजन्! एकाग्रचित्त होकर सुनो वह पुरातन व्रत कथा जिसे महर्षि वशिष्ठ ने राजा दिलीप को बताई थी। यह कथा पुण्य और मोक्ष प्रदान करनेवाली है।”
📜 व्रत की कथा का प्रारंभ
चैत्र शुक्लपक्ष की एकादशी को ‘कामदा एकादशी‘ कहा जाता है। यह व्रत सब पापों को नष्ट करने वाली, पुण्यरूपी कल्पवृक्ष के समान फलदायक और पिशाचत्व एवं ब्रह्महत्या जैसे महापापों का भी समूल नाश करनेवाली है।
प्राचीन काल में नागपुर नामक एक स्वर्णमयी नगरी थी, जिसमें पुण्डरीक नामक नागराज राज्य करता था। वहाँ गन्धर्व, अप्सराएँ, और किन्नर निवास करते थे। उन्हीं में से एक ललित नामक गंधर्व और उसकी पत्नी ललिता अप्सरा वहाँ रहते थे। वे दोनों अत्यंत प्रेम में लीन रहते, एक-दूसरे के बिना कोई कार्य नहीं करते थे।
🎵 गान में त्रुटि और शाप
एक दिन नागराज पुण्डरीक की राजसभा में संगीत का आयोजन हुआ। ललित वहाँ गान प्रस्तुत कर रहा था, पर उसकी प्रियतमा ललिता साथ नहीं थी। प्रेम में डूबे ललित को ललिता की याद आई और उसका स्वर विचलित हो गया। गान की लय टूटी, और नागराज क्रोधित हो उठे।
नागराज ने शाप दिया:
“हे ललित! तू मेरी सभा में भी अपनी पत्नी के मोह में डूबा है। इसलिए तू अब राक्षस बन जा!”
शापवश ललित राक्षस हो गया — विकराल रूप, भयंकर मुख और भूत जैसे व्यवहार वाला। यह देख ललिता अत्यंत दुखी हुई।
🌿 ऋषि से मार्गदर्शन
विचलित ललिता अपने पति के पीछे वन में भटकती रही और एक दिन एक शांत और तपस्वी ऋषि के आश्रम में पहुँची। उसने ऋषि को प्रणाम कर अपनी व्यथा सुनाई।
ऋषि बोले:
“हे सुभगे! आज चैत्र शुक्ल एकादशी है, इसका नाम ‘कामदा’ है। यह सब पापों को हरने वाली है। तुम इस एकादशी का व्रत रखो और उसका पुण्य अपने पति को अर्पण कर दो, इससे वे पुनः गन्धर्व रूप को प्राप्त करेंगे।”
🙏 व्रत का पालन और फल
ललिता ने विधिपूर्वक व्रत किया। द्वादशी के दिन, भगवान वासुदेव के समक्ष उसने यह संकल्प लिया:
“मैंने जो यह व्रत किया है, उसका समस्त पुण्य मैं अपने पति को समर्पित करती हूँ। कृपा करके उनके राक्षस रूप का नाश हो।”
तुरंत ही ललित का राक्षस स्वरूप समाप्त हो गया। वह पुनः दिव्य गंधर्व देह प्राप्त कर अपने पूर्व स्वरूप में लौट आया। अब वे दोनों और भी अधिक तेजस्वी होकर विमान में आरूढ़ हो स्वर्ग को गए।
🌼 व्रत का महत्व और फल
- कामदा एकादशी व्रत से भयानक से भयानक पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
- यह शाप, पिशाचत्व, ब्रह्महत्या जैसे दोषों का नाश करती है।
- इसका श्रवण, पठन और पालन वाजपेय यज्ञ के समान फलदायक है।
- पति-पत्नी, परिवार, एवं जो भी प्राणी मोह, विकार या दुःख से ग्रसित हों, उन्हें यह व्रत विशेष कल्याण प्रदान करता है।
📌 विशेष नोट:
“एकादशी व्रत सभी मनुष्यों को अवश्य करना चाहिए। यह भक्ति, शुद्धि और मोक्ष का सरल साधन है।”
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