ऐसी एक जगह है सांकरी खोर, जहा भगवान श्रीकृष्ण ने दूध दही बेचने की कुप्रथा को रोकने के लिए दान लीला की थी। कहा जाता है कि द्वापरयुग में बरसाना सहित आसपास के गांवों से कंस के लिए दूध दही मथुरा जाता है। जिसे रोकने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने यह लीला की थी। यह स्थान चिकसोली व बरसाना के मध्य में पड़ता है।
सांकरी खोर राधा-कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा एक अत्यंत पावन स्थान है। यह स्थान विशेष रूप से दान लीला के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ श्रीकृष्ण ने ग्वालबालों के साथ मिलकर गोपियों को रोककर उनसे दूध-दही का दान माँगा था।
सांकरी खोर का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व
- कंस का अन्याय: द्वापर युग में कंस के आदेशानुसार गोप-गोपियाँ मथुरा के लिए दूध-दही लेकर जाते थे।
- कृष्ण की लीला: भगवान श्रीकृष्ण ने इस अन्याय को रोकने के लिए दान-लीला की और गोपियों से प्रेम और भक्ति का कर (दान) माँगने लगे।
- गोपियों का विरोध और प्रेम-तकरार: श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच जो हंसी-ठिठोली और प्रेम-व्यवहार हुआ, वह आज भी ब्रज की रस-परंपरा में जीवंत रूप में देखा जा सकता है।
स्थान की विशेषताएँ
- यह बरसाना और चिकसोली के मध्य स्थित है।
- मार्ग संकरा (सांकरी) होने के कारण यह “सांकरी खोर” कहलाता है।
- यहाँ प्रतिवर्ष राधाष्टमी और अन्य ब्रज उत्सवों पर विशेष आयोजन होते हैं।
- दान-लीला का मंचन आज भी ब्रज की लीलाओं और भक्तों के मन में जीवंत है।
यह स्थान कृष्ण-भक्ति और ब्रज की प्रेम-लीलाओं का दिव्य प्रतीक है, जहाँ जाकर भक्त बाल-कृष्ण के अनोखे नटखट स्वरूप का अनुभव कर सकते हैं। 🙏💛
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