- मथुरा
- कृष्ण जन्मभूमि केशवदेव मंदिर:: भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा का यह मंदिर अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक है। मथुरा में स्थित यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है।
- द्वारकाधीश मंदिर: भगवान कृष्ण के द्वारका स्वरूप की पूजा के लिए यह मंदिर प्रसिद्ध है।
- विश्राम घाट, मथुरा विश्राम घाट, मथुरा में स्थित एक महत्वपूर्ण और पवित्र स्थल है। यह घाट यमुना नदी के किनारे स्थित है और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस को वध के दौरान यहाँ विश्राम किया था, जिसके कारण इसे विश्राम घाट नाम मिला। श्री चैतन्यमहाप्रभु भी व्रज के आने दौरान यहाँ विश्राम किये थें |
2. वृंदावन
- गोविन्द देव जी मंदिर: श्री रूप गोस्वामी जी के द्वारा प्राकाट्य गोविन्द देव जी का मंदिर 1590 में निर्मित हुआ | इस मंदिर की भव्यता और ऐतिहासिक महत्व इसे विशेष बनाते हैं। यहाँ की आरती और पूजा विधियाँ भक्तों को एक गहन आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती हैं।
- मदन मोहन मंदिर: मदन मोहन मंदिर, वृंदावन में स्थित एक महत्वपूर्ण और प्राचीन धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के मदन मोहन स्वरूप को समर्पित है, जो विशेष रूप से प्रेम और सौंदर्य के प्रतीक हैं। यह प्राचीन मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- राधारमणजी का मन्दिर श्री राधारमणजी स्वयं सालिग्राम से प्राकाट्य भगवान हैं । इस मन्दिर में मांगलिक दर्शन प्रात: 5 am बजे होते हैं । रंगजी के द्वार से पश्चिम की ओर में जाने पर यह मन्दिर स्थिर है । इस मन्दिर की पूजा-सेवा गोस्वामियों के पास है ।
- राधा वल्लभजी मंदिर यह प्राचीन मंदिर हित हरिवंश गोस्वामियों द्वारा स्थापित किया गया है। इसकी विशेषता यह है कि यहाँ भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधाजी की प्रतिमा नहीं, बल्कि उनकी प्रतीकात्मक गद्दी विराजती है। यह मंदिर राधा-कृष्ण भक्ति संप्रदाय की अनूठी परंपराओं का पालन करता है और इसकी गहरी धार्मिक महत्ता है।
- बांके बिहारी मंदिर: यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय मंदिरों में से एक है।
- इस्कॉन मंदिर: अपने भव्यता और भक्ति के लिए प्रसिद्ध यह मंदिर अंतरराष्ट्रीय भक्तों को आकर्षित करता है।
- श्री राधा दामोदर मंदिर यह मंदिर वृंदावन का एक खास मंदिर है
- काँच का मन्दिर रंगजी मन्दिर के पूर्वी द्वार पर स्थित बिजावर महाराज का काँच का मन्दिर दर्शनीय है।
- गोदा बिहार यह मन्दिर रंगजी के पास है । इस मन्दिर में सैकड़ों देवी-देवताओं, ॠषियों-मुनियों, सन्त-महापुरुषों की दर्शनीय मूर्तियाँ शोभायमान है ।
- सवामन सालिग्राम जी का मन्दिर लोई बाजार स्थित यह मंदिर “सवा मन के सालिग्राम” के नाम से प्रसिद्ध है। हालांकि मंदिर का आकार बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन इसमें स्थापित सालिग्राम शिला अत्यंत दर्शनीय और आश्चर्यजनक है। इस विशाल सालिग्राम की पूजा श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है, जो इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाता है।
- श्री पागल बाबा का मंदिर मथुरा-वृंदावन मार्ग पर, टी.वी. सेनेटोरियम के निकट हाइडल सब स्टेशन के पास स्थित लीला बाग में यह भव्य मंदिर निर्माणाधीन है। इसे वृंदावन के प्रसिद्ध संत, पागल बाबा ने दानी उद्योगपतियों के सहयोग से बनवाया था। मंदिर की स्थापत्य कला ब्रज क्षेत्र के अन्य मंदिरों से भिन्न और अद्वितीय है। इसका शिखर अत्यंत ऊँचा है और मंदिर परिसर विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर के भीतर एक सुंदर कुण्ड भी बना हुआ है, जो इसकी आकर्षण को और बढ़ाता है।
- प्रेम मंदिर, वृंदावन प्रेम मंदिर वृंदावन का एक भव्य और प्रसिद्ध मंदिर है, जिसका निर्माण जगद्गुरु श्री कृपालु महाराज द्वारा करवाया गया। यह मंदिर राधा-कृष्ण और सीता-राम की लीलाओं को समर्पित है। सफेद संगमरमर से निर्मित यह मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला और सुंदर शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की दीवारों पर भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं, जैसे गोवर्धन धारण और महारास, का जीवंत चित्रण किया गया है।
रात्रि के समय मंदिर की रंग-बिरंगी रोशनी इसे और भी आकर्षक बनाती है, जो पर्यटकों और भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय दृश्य प्रस्तुत करती है। इसके विशाल उद्यान, फव्वारे और मनमोहक मूर्तियाँ इसे वृंदावन के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक बनाते हैं।
- राधानयनानंद जी सूरमा कुञ्ज, वृंदावन के पत्थरपुरा क्षेत्र में स्थित एक महत्वपूर्ण और दर्शनीय स्थल है। गौड़ीय सम्प्रदाय के प्रमुख स्थलों में से एक है। यह स्थान विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी (राधानयनानंद ) की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। सूरमा कुञ्ज का संबंध गौड़ीय वैष्णव परंपरा से है और यहाँ पर विशेष रूप से राधानयनानंद जी और उनके अनुयायी की पूजा की जाती है। सूरमा कुञ्ज का वातावरण शांत और आध्यात्मिक है, और यहाँ आने वाले भक्तों को एक गहन आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है। यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की कहानियों और उनके अद्वितीय प्रेम संबंधों को स्मरण करता है।
- धामेश्वर निताई धामेश्वर निताई मंदिर पानिघाट में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर विशेष रूप से भगवान निताई गौर को समर्पित है, जो श्री चैतन्य महाप्रभु के भक्तों के लिए आदरणीय हैं। धामेश्वर निताई मंदिर का वातावरण शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक है, जो भक्तों को गहरी भक्ति और शांति का अनुभव कराता है। यहाँ पर विशेष रूप से निताई गौर जी की उपासना, कीर्तन, और धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
- गोपेश्वर मंदिर महारास के दौरान केवल महिलाओं को प्रवेश की अनुमति थी, लेकिन भगवान शिव इस दिव्य लीला का दर्शन करना चाहते थे। उन्होंने गोपी का रूप धारण किया और रासलीला में सम्मिलित हुए। जब श्रीकृष्ण को इसका आभास हुआ, तो उन्होंने शिव को “गोपीश्वर” कहकर पुकारा और उन्हें आशीर्वाद दिया। इस घटना के स्मरण में वृंदावन में गोपेश्वर महादेव मंदिर स्थित है, जो भगवान शिव के इस अद्वितीय रूप की आराधना का केंद्र है।
- शेषशायी विष्णु: यह मंदिर भगवान विष्णु के शेषशायी रूप को समर्पित है, जहाँ भगवान विष्णु शेषनाग पर विश्राम कर रहे हैं। यह स्थान वृंदावन में स्थित है और यहाँ भक्तजन विष्णु जी की पूजा-अर्चना करते हैं।
- चीर घाट : यह यमुना नदी के किनारे स्थित है, जहां भगवान कृष्ण ने गोपियों के वस्त्र चुराए थे। यह स्थल वृंदावन में है और इसका धार्मिक महत्व है।
- केशी घाट : केशी घाट, वृंदावन में यमुना नदी के किनारे स्थित एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है। यह घाट भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं से जुड़ा हुआ है और विशेष रूप से उस घटना का स्मरण करता है जब श्रीकृष्ण ने केशी नामक राक्षस का वध किया था। कथा के अनुसार, केशी नामक राक्षस को कंस ने भेजा था ताकि वह श्रीकृष्ण को मार सके। केशी ने एक विशाल घोड़े का रूप धारण कर वृंदावन में उत्पात मचाया, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अद्भुत पराक्रम से उसे परास्त कर उसका वध किया। इसी विजय के बाद इस घाट को “केशी घाट” कहा गया। यहाँ संध्या आरती बहुत प्रसिद्ध है। भक्तजन संध्या के समय यमुना की आरती में भाग लेते हैं, जो अत्यंत भव्य और दिव्य अनुभव होता है। इस आरती में यमुना नदी की महिमा का गुणगान किया जाता है।
- वृंदावन में लगभग 6000 से अधिक मंदिर हैं। यह पवित्र नगरी भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली है, और यहाँ छोटे-बड़े मंदिरों की भरमार है, जिनमें से कई प्राचीन और ऐतिहासिक हैं। इन मंदिरों में भगवान कृष्ण, राधा रानी, और अन्य देवी-देवताओं की पूजा होती है।
2. गोकुल
- नंद भवन: यहां श्रीकृष्ण ने नंद बाबा और यशोदा माता के साथ अपने बाल्यकाल का समय बिताया था।
- ब्रह्मांड घाट: यह घाट भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की एक प्रसिद्ध लीला से संबंधित है, जहाँ उन्होंने यशोदा माता को अपने मुख में संपूर्ण ब्रह्मांड का दर्शन कराया था।
- गोकुलनाथ मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण के जन्म और बचपन की घटनाओं से संबंधित है।
- रामानरेती: गोकुल के पास स्थित यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण और बलराम के बाल्यकाल के खेलों का गवाह है। यहाँ की रेत को पवित्र माना जाता है और भक्त इसे अपने माथे पर लगाते हैं।
3. गोवर्धन
- गोवर्धन पर्वत: इसे भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर उठाया था ताकि गांववासियों को इंद्र के क्रोध से बचाया जा सके। यहां गोवर्धन परिक्रमा का विशेष महत्व है।
- मानसी गंगा: यह एक पवित्र तालाब है, जिसे भगवान कृष्ण ने अपने मन से उत्पन्न किया था।
- राधाकुंड और श्यामकुंड: ऐसा कहा जाता है कि राधा रानी और उनकी सहेलियों ने अपनी चूड़ियों से यह कुंड खोदा था | राधा कुंड के साथ श्याम कुंड भी स्थित है, जो का पवित्र जलाशय माना जाता है। श्रद्धालु राधा कुंड में स्नान को अत्यंत पुण्यकारी मानते हैं, खासकर अहोई अष्टमी यहाँ स्नान का विशेष महत्व है।
- कुसुम सरोवर : यहां राधा रानी फूल तोड़ने आती थीं। गोवर्धन से लगभग 2 किलोमीटर दूर स्थित यह सरोवर स्थापत्य कला का अद्वितीय नमूना है। इसे जवाहर सिंह ने अपने पिता सूरजमल की स्मृति में बनवाया था। यहाँ का शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य भक्तों को आकर्षित करता है।
4. बरसाना
- श्री राधारानी मंदिर (लाडलीजी मंदिर): यह बरसाना का सबसे प्रमुख और पवित्र मंदिर है, जो राधा रानी को समर्पित है। यह मंदिर बरसाना की पहाड़ी (ब्रह्मगिरि पर्वत) के ऊपर स्थित है और इसे लाड़ली जी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर राधारानी की भव्य मूर्ति का दर्शन करने के लिए देश-विदेश से भक्त आते हैं।
- दानगढ़: यह वह स्थल है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों से माखन और अन्य सामान के बदले में दान माँगा था। यह स्थल उनकी लीला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यहाँ भक्तगण उनके दान की लीला का स्मरण करते हैं।
- मोर कुटी यह वह स्थान है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी ने मोर नृत्य किया था। मोर कुटी का आध्यात्मिक महत्व है और यहाँ आने वाले भक्त राधा-कृष्ण के प्रेम का स्मरण करते हैं। इस स्थल को प्रेम और आनंद का प्रतीक माना जाता है।
- वृषभानु कुंड यह कुंड राधारानी के पिता वृषभानु के नाम पर है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि राधारानी का जन्म इसी कुंड के पास हुआ था, इसलिए इसे एक पवित्र स्थल माना जाता है।
5. नंदगांव
- नंद बाबा मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण के पिता नंद बाबा को समर्पित है।
- पवन सरोवर: नंदगांव में स्थित यह पवित्र सरोवर भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ा है।
6. मान मंदिर
- मानगढ़: यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की लीलाओं से संबंधित है और यहाँ का मान मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
7. बलदेव (दाऊजी)
- दाऊजी मंदिर: यह भगवान बलराम (कृष्ण के बड़े भाई) को समर्पित है और बलराम की विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे दाऊजी के नाम से पुकारा जाता है। इस मंदिर में विशेष रूप से बलदेव जी के झूला उत्सव और होली का आयोजन किया जाता है।
8. कामवन (काम्यवन)
- काम्यवन: यह वन भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा हुआ है और यहां राधा-कृष्ण के कई मंदिर स्थित हैं। यहाँ स्थित विशालकाय वृक्षों और कुंडों में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की अनेक लीलाएँ हुई हैं।
- कामेश्वर महादेव मंदिर: शिवजी का यह मंदिर काम्यवन में एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है।
9. रावल
- राधा रानी का जन्मस्थान: रावल गाँव राधा रानी का जन्मस्थान माना जाता है। यहाँ राधा रानी को समर्पित कई मंदिर हैं, जिनमें श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं।
10. वृन्दाकुंड
- यह कुंड वृंदावन के पास स्थित है और इसे वृंदा देवी को समर्पित किया गया है। यहां भगवान कृष्ण की रासलीलाओं का महत्त्व है।
11. भांडीर वन
- भांडीर वन ब्रज क्षेत्र के 12 पवित्र वनों में से एक है, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की लीलाओं से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह वन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की लीलाओं और उनके राधारानी से विवाह की कथा के लिए प्रसिद्ध है।
12. वंशीवट
जो भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य रासलीलाओं और उनकी बांसुरी (वंशी) से जुड़ा हुआ है। यह वृंदावन के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के कारण भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।
13. मधुवन
- यह वह वन है जहां भगवान कृष्ण और बलराम ने अपने मित्रों के साथ बाल लीलाएँ की थीं। यह स्थान भी भगवान की दिव्य लीलाओं से जुड़ा हुआ है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव ने इसी वन में भगवान विष्णु की घोर तपस्या की थी और उन्हें विष्णु भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ था।
14. भूतेश्वर, कामेश्वर, चकलेश्वर, और गोपेश्वर ये चार शिव मंदिर ब्रज का कोतवाल कहलाते हैं.
यह सभी स्थल ब्रज क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े हुए हैं, और ब्रज 84 कोस यात्रा के दौरान इनका दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।
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